जयपुर. राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में पिछले दिनों में मौसम के तेवर तेजी से बदले हैं। राजस्थान में सोमवार देर रात तेज बारिश और ओले गिरे। वहीं, बिहार के कुछ हिस्सों में मंगलवार को जोरदार बारिश हुई। छतीसगढ़ में सोमवार को नींबू की साइज के ओले गिरे। झारखंड में भी पिछले एक हफ्ते से बारिश और आंधी का दौर चल रहा है। बिगड़ा हुआ मौसम किसानों के लिए संकट बन रहा है। खासकर जहां फसलें नहीं कटी है। एक नजर राज्यों में मौसम के बिगडे़ हुए तेवर पर।
राजस्थान: दो दिनों में आंधी-बारिश से जुड़े हादसों में 13 की जान गई
राजस्थान के कई इलाकों में सोमवार की रात मौसम ने कहर बरपाया। तीन जिलों में अंधड़-बारिश से छह लोगों की मौत हो गई। टोंक-सवाई माधोपुर में 5 लोगों की और कोटा में एक की मौत हुई। दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। टोंक में 300 बिजली के पोल एवं 150 ट्रांसफार्मर भी क्षतिग्रस्त हो गए। इससे पहले रविवार को भी प्रदेश के तीन जिलों में आंधी, ओले और बारिश से 7 लोगों की मौत हुई थी। इस तरह दो दिनो में मौसम ने 13 लोगों की जान ले ली। प्रदेश में पिछले 10 दिनों से आंधी-ओलावृष्टि का दौर जारी है।
राजस्थान में बरसात कम हुई और तूफान के कारण ज्यादा नुकसान मकानों को ही हुआ। फसलों की कटाई पूरी हो जाने के कारण फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं झेलना पड़ा। ओलावृष्टि से कई स्थानों पर पशुओं की भी मौत हुई है। शाहपुरा में सोमवार रात को गिरे ओले मंगलवार सुबह तक नहीं पिघले। सोमवार रात को प्रदेश के अजमेर, सीकर, नागौर, जयपुर, भीलवाड़ा, टोंक, दौसा, अलवर, भरतपुर, चित्तौड़गढ़, बूंदी करौली, कोटा, झालावाड़ और झुंझुंनूं में ओले गिरे।
छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में दो दिनों में ओले और बारिश के कारण फसलें चौपट हो गईं। वहीं सोमवार को बिजली गिरने से सूरजपुर के बिश्रामपुर में दो सगे भाइयों व जशपुर में मनरेगा मजदूर की मौत हो गई। एक महिला व युवक झुलसें भी हैं। इसके अलावा कांकेर, रायपुर, बिलासपुर और भिलाई में भी तेज हवाओं के साथ बारिश हुई है। प्रदेश में कोरिया के चिरमिरी में ओलावृष्टि से खेत में लगे टमाटर, बैगन, आलू, भिंडी सहित गेंहूं आदि की फसलें नष्ट हो गईं। ओलावृष्टि और बारिश के कारण 25 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं। बारिश व ओलों से हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। भिलाई में जहां दुकानों के शेड उड़ गए, वहीं रविवार देर रात चली तेज हवाओं और बारिश से सुकमा में कई मकानों के छप्पर उड़ गए और दर्जनों पेड़ गिर गए।
मंगलवार सुबह पटना समेत बिहार के एक दर्जन से अधिक जिलों में आंधी के साथ तेज बारिश हुई। आकाशीय बिजली गिरने से आठ लोगों की मौत हो गई। पटना में 3, जहानाबाद में 2, शेखपुरा में 1, नालंदा में 1 और बांका में 1 व्यक्ति की मौत बिजली गिरने से हुई। खेतों में फसल कट जाने की वजह से खेतों का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन तेज आंधी और बारिश से आम, लीची और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। कोरोना के संकट में हुए इस मौसमी नुकसान ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछले एक सप्ताह से कहीं ना कहीं बारिश हो रही है। बरसात और ओलावृष्टि ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है। खेतों में तैयार सब्जियां खराब हो गई। वहीं, आम की फसल को भी खासा नुकसान हुआ है। खेतों में लगी फूलगोभी, बंदगोभी, मिर्च और टमाटर की फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है।एक तो लॉकडाउन ने खेतों तक व्यपारियों के नहीं पहुंचने की वजह से किसानों की पहले ही कमर तोड़ रखी थी, उसके बाद बेमौसम बरसात ने उन्हें काफी परेशान कर दिया है। बारिश के साथ चली तेज हवा ने कई क्षेत्र में बड़े-बड़े पेड़ों को भी गिरा दिया। इधर, मौसम बिगड़ने के चलते आकाशीय बिजली के गिरने से राज्य में पिछले एक हफ्ते के दौरान अब तक करीब 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
राजधानी लखनऊ व आसपास के 20 से अधिक जिलों में मंगलवार दोपहर बाद अचानक मौसम बदला। आसमान में काले बादल छा गए। इससे दिन में ही अंधेरा हो गया। इसके बाद गरज-चमक व तेज हवाओं के बीच मूसलाधार बारिश हुई। साथ ही रुक-रुक ओले भी गिरे। लखनऊ के गोमतीनगर में आकाशीय बिजली भी गिरी। बैशाख महीने में अषाढ़ जैसी स्थिति से गेहूं, आम के किसानों पर वज्रपात टूटा है। इससे पहले सोमवार को भी राज्य के 19 जिलों में धूल भरी आंधी के साथ बारिश हुई थी। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता ने कहा- ये बेमौसम बारिश पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हो रही है। उत्तर पश्चिम के ऊपर दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। अभी लोगों को आठ मई तक बेमौसम बारिश का सामना करना पड़ेगा।
महाराष्ट्र के कुछ जिलों में पिछले गुरुवार को आंधी तुफान के साथ बारिश हुई। बेमौसमी बारिश से वर्धा में गुरुवार को करीब 200 कुंतल अनाज पानी मे भीग गया। नासिक के दिंडोरी और निफाड तहसीलों में गुरुवार-शुक्रवार के बीच भारी बारिश हुई। इससे खेतों में प्याज के साथ अंगूर, खीरा, करेला, लौकी, तोरई, पेठा, पालक, फूल गोभी, बैंगन, भिंडी, अरबी जैसी सब्जियों की फसलों का नुकसान हुआ। हालांकि, इस हफ्ते अब तक राज्य का मौसम ठीक रहा है।
मध्यप्रदेश में भी पिछले कुछ दिनों से मौसम बिगड़ा हुआ है। सोमवार रात को भोपाल और आसपास के शहरों में तेज आंधी चली। वहीं, इससे पहले सोमवार रात को ग्वालियर-चंबल संभाग के मुरैना में आई आंधी बारिश से करीब 5 करोड़ से अधिक की क्षति हुई है। बिजली कंपनी के ही 1228 खंबे उखड़कर जमींदोज हो गए। 35 बड़े खंबों सहित 16 ट्रांसफार्मर भी गिर गए, इससे बिजली कंपनी को तकरीबन एक करोड़ रुपए से अधिक की क्षति हुई है। वहीं शहर सहित जिलेभर में आंधी-बारिश की वजह से मकान ढहने की वजह से 50 से अधिक लोग जख्मी हो गए और लाखों रुपए कीमत का उनके घर-गृहस्थी का सामान तबाह हो गया। इसके अलावा, पहाड़गढ़ में आंधी-बारिश व ओलावृष्टि से खड़िरहयापुरा में 30 परिवारों के छपरे उड़ गए।
पंजाब: शनिवार-रविवार को हुई बारिश, मंडियों में रखा हुआ गेहूं भीगा
पंजाब में बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों, आढ़तियों और सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। पहले शनिवार देर शाम से लेकर रातभर में कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश हुई, वहीं रविवार को भी दोपहर बाद एक-दो जगह को छोड़कर लगभग पूरे राज्य में भारी बारिश हुई है। मंडियों में खुले आसमान के नीचे पड़ी बिकी हुई और बिना बिकी फसल पानी में भीग गई। बठिंडा में रविवार को हुई मूसलाधार बारिश के कारण मंडी में रखी गई गेहूं की बोरियां पानी में भीग गई। अबोहर और मुक्तसर में शनिवार की रात को हल्की ओलावृष्टि व बारिश के बाद रविवार दोपहर बाद तेज आंधी व तेज बारिश के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बठिंडा जिले की मंडियों में (1.52 लाख टन), मुक्तसर में (1.75 लाख टन) संगरूर (1.32 लाख टन), बरनाला (1.92 लाख टन), मोगा (1.90 लाख टन), फरीदकोट(1600 टन), अबोहर (40 हजार बोरी) समेत पटियाला, लुधियाना की मंडियों में करीब 6.5 लाख टन गेहूं मंडियों में पड़ा हुआ। इस बार सोशल डिस्टेंसिंग के कारण ज्यादा बनाई गई मंडियों में शेडिंग के अभाव के कारण इस बार करीब 45 फीसदी (करीब 3 लाख टन) गेहूं भीगने की सूचना है।