इंदिरा आईवीएफ समूह अपना 9वां स्थापना दिवस नहीं मनाएगा


जयपुर/उदयपुर. जब ज़िन्दगी जूझ रही हो ,दीप बूझ रहे हों ,ऐसे मौके पर उम्मीद की रोशनी बहुत आत्मबल देती है। ये कहना है आईवीएफ मैन ऑफ़ इंडिया डॉ अजय मुर्डिया का। ये वहीं इंसान हैं जिन्होंने 9 साल पहले 2 मई 2011 को  इंदिरा आईवीएफ समूह का गठन किया। 2 मई ही सुबह इंदिरा आईवीएफ समूह के चेयरमैन डॉ अजय मुर्डिया ने फेसबुक के माध्यम से बताया कि इंदिरा आईवीएफ समूह अपना 9वां स्थापना दिवस नहीं मनाएगा।

साथ ही डॉ मुर्डिया ने इंदिरा आईवीएफ परिवार के सदस्यों और जुड़ें लोगों से अपील की वो शाम 7 बजे कैंडल ऑफ़ होप एक्टिविटी में सहभागी बनें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। डॉ मुर्डिया का मानना है कि उम्मीद का मर जाना बहुत खतरनाक होता है। अपने सन्देश में डॉ मुर्डिया ने बहुत सकारात्मक बातें की। अपने समूह को जहाँ परिवार कह कर सम्बोधित किया वहीं देश -विदेश में फैले 60 हज़ार से ज्यादा निःसंतानता दम्पतियों ,जिनका सफल उपचार इंदिरा आईवीएफ से हो चूका है उनको भी इस परिवार का हिस्सा माना।

स्पेनिश फ्लू और प्लेग की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने सयंम और धैर्य से कोरोना संकट से भी उबर जाएंगे। उन्होंने  आज के समय में निःसंतान दम्पतियों के हालात पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि प्रत्येक आठ दम्पतियों में से एक निःसंतानता के साथ जूझ रहा है। ऐसे लोगों के लिए ये दौर भावनात्मक तौर पर परेशान करने वाला है। ये हार्मोनल डिस्बैलेंस भी ला सकता है। उन्होंने उनकी उम्मीद जगाई और खुशहाली के साथ घर में रहने की अपील की।


इस अवसर पर डॉ मुर्डिया ने अपनी टीम को ,जिसमें 200 से अधिक आईवीएफ स्पेशलिस्ट, 125 से अधिक एम्ब्रोलोजिस्ट तथा  दो हज़ार से अधिक स्टाफ शामिल हैं, दिल से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं क्योकि हमसब की मेहनत जब एक साथ ,एक उद्देश्य के लिए काम करती है तो जो रिजल्ट आता है उसे इंदिरा आईवीएफ के सक्सेस के नाम से दुनिया जानती है।